ध्यान का महत्व
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‘उत्तिष्ठत् जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत्’
19th Oct 2024
‘उत्तिष्ठत् जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत्’ (कठोपनिषद्)
`साधना-सत्संग’ ग्वालियर एक अनुपम आध्यात्मिक प्रशिक्षण
पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के साधना-सत्संग का मुख्य उद्देश्य है- साधकों की आध्यात्मिक उन्नति हो, उनकी आत्म जागृति हो, जप-ध्यान करने का स्वभाव बने, एवं उनका नियम पालन करने का अभ्यास हो। अतः पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के इन्हीं मुख्य उद्देश्यों की पूर्ति हेतु साधकों को साधना-सत्संग में शामिल होना चाहिए।
साधना-सत्संग में साधक कुछ समय के लिए सांसारिक बंधनों से हटकर व परिवार से दूर जाकर क्रियात्मक (Practical) साधना करते हैं। इससे उनकी आध्यात्मिक मार्ग की बाधायें दूर होती हैं, आत्मिक जागृति होती है तथा मानसिक शान्ति लाभहोती है। यह पाठशाला के समान है, जहाँ हम अनुशासन व नियमों का पालन करना सीखते हैं, साथ ही भजन करने का स्वभाव बनाते हैं। ‘युक्ताहार विहारस्य, युक्त चेष्टस्य कर्मषु’ के अनुसार जीवन बनाते हैं।
श्री स्वामी जी महाराज ने दीक्षित साधकों की उन्नति हेतु उन्हें सिधाने के लिए ‘साधना-सत्संग’ शिविर लगाने आरम्भ किये, जो साधकों के लिए उनकी अनुपम देन है। साधना-सत्संग, ग्वालियर सन् 1950 से पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के समय से प्रतिवर्ष निरन्तर आयोजित हो रहा है।
नवीन साधक को दीक्षा लेने के पश्चात् कम से कम एक बार तो साधना-सत्संग में अवश्य सम्मिलित होना चाहिये।
ध्यान, जाप एवं स्वाध्याय हमारी साधना के मुख्य अंग हैं। साधना-सत्संग, ग्वालियर में पूज्यश्री स्वामी जी महाराज की विशुद्ध साधना-सत्संग पद्धति के अनुसार अनुशासनबद्ध होकर (ध्यान, जाप तथा स्वाध्याय) विशेष साधना प्रेक्टिकल रूप में की जाती है। इससे साधक की आध्यात्मिक भूमि दृढ़ होती है, इसलिए हम सबको चाहिए कि कम से कम एक बार ग्वालियर साधना-सत्संग में अवश्य ही भाग लेवें।
साधना-सत्संग, ग्वालियर 8 से 11 नवम्बर, 2024 तक लगाया जा रहा है। स्थानीय तथा बाहर के सभी इच्छुक साधक भाई-बहिन अपने नाम लिखवा सकते हैं। बाहर के सम्मिलित होने वाले साधक अपने नाम नीचे लिखे मोबाइल नम्बर्स पर लिखवा सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र- 98276 70634, 94257 75065, 89894 76802.
प्रेषक : श्रीराम शरणम्, रामसेवक संघ, ग्वालियर