व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

वीरता

26th Jan 2025

वीरता

[पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के अनुसार]

वीरों पर निर्भर करे, देश धर्म धन मान। बल तेज स्वतंत्रता, वंश व्यापार विधान।।

एक बार कई सन्त मिल कर विचारने लगे कि वीर किसको कहा जाय ? अनेक मतामत मथन करने पर उन्होंने सर्व सम्मति से यह स्थिर किया कि वीर सात प्रकार के होते हैं-
■ एक तो वे जन वीर होते हैं जो दीन दुःखी मनुष्य की रक्षा करते हैं।
■ दूसरी प्रकार के वीर वे जन हैं जाति तथा धर्म के निमित्त अपना आप तक, प्रसन्नता-पूर्वक, अर्पण कर देते हैं।
■ तीसरी पंक्ति के वे वीर हैं जो अपने नियम, व्रत तथा कर्म में सदा सच्चे और सुदृढ़ रहते हैं।
■ चौथी श्रेणी के वीर वे हैं जो पापी, अधम जन से नहीं डरते।
■ पाँचवीं प्रकार के वे वीर वे जन हैं जो परोपकार में और सेवा में अपना तन-मन-धन लगा देते हैं।
■ छठी प्रकार के वे जन वीर हैं जो काम को, क्रोध को, मान को, अहंकार को और ईर्ष्या द्वेष को जीत कर संयम और समता का जीवन व्यतीत करते हैं।
■ सातवीं श्रेणी के वीर वे जन हैं जो भगवत् भक्त हरि लीला में काम किया करते हैं। उनको सभी परिवर्तनों में हरि का हाथ दीखा करता है। वे सृष्टि के सारे नाटक का उसी को सूत्रधार समझते हैं। उनकी भक्ति भरी भावना में भगवान् के विधान को निभाने का निमित्त बन जाना सबसे उत्तम वीर कर्म है। वे भावुक जन कर्ता तो श्री भगवान् को ही कहा करते हैं और अपने आपको उसकी इच्छा का साधन तथा यंत्र समझते रहते हैं।
अपने स्वार्थ मान को, तन मन धन को वार। बने सूरमा भक्त जन, करे राम की कार।।
[भक्ति-प्रकाश]
प्रेषक : श्रीराम शरणम्, रामसेवक संघ, ग्वालियर