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26th Apr 2025
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संकट संशय हो गए दूर : नामोपासना-सत्संग शिविर में सम्मिलित साधकों के अनुभव
22nd Mar 2025‘संकट संशय हो गए दूर’
‘नामोपासना’ सत्संग शिविर में सम्मिलित साधकों के अनुभव
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पूज्यश्री महाराज जी के भौतिक चोला त्यागने के पश्चात् समाज के पढ़े-लिखे वर्ग के अनेकों लोग रिकॉर्डेड वीडियो दीक्षा के लिए तैयार नहीं होते थे। नामोपासना सत्संग शिविर में इस बार उन्हीं पढ़े-लिखे प्रबुद्ध व्यक्तियों ने नाम-दीक्षा ग्रहण की। जैसाकि पूज्यपाद श्रीस्वामी जी महाराज चाहते थे कि पढ़े-लिखे युवा वर्ग के व्यक्ति सत्संग से जुड़ें। इसी आधार पर हमारे परम आदरणीय अंकल जी (श्री मूलचन्द गुप्ता जी) राम-नाम के प्रचार-प्रसार में लगे रहे। वे नाम-दीक्षा की quantity नहीं अपितु quality पर जोर देते थे। असंख्य लोग दीक्षा लें और फिर कभी सत्संग न आयें और घर बैठ जाएं, ऐसी दीक्षा का कोई लाभ नहीं। पढ़े-लिखे वर्ग के लोग दीक्षा लेकर अपना आत्म-कल्याण करें, सत्संग से जुड़ें तथा आदर्श मानव बनें, पूज्यपाद श्री स्वामी जी की इसी विचारधारा पर श्रीरामशरणम् ग्वालियर अग्रसर है तथा राम-कृपा से इसमें सफलता मिली तो लगा कि अंकल जी की मेहनत सफल हुई है।
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नामोपासना सत्संग शिविर में नाम की महिमा, नाम-निरूपण, नाम-जतन से आध्यात्मिक उन्नति के बारे में मेरा ज्ञानवर्धन हुआ। पूज्यश्री महाराज के प्रवचन, आचार्यश्री के व्याख्यान तथा आदरणीय दीदी की साधना सम्बन्धी छोटी-छोटी tips बहुत महत्वपूर्ण लगीं।
पूज्यश्री महाराज जी के ‘राम-कृपा तथा राम-कृपा पर पूर्ण विश्वास’ के प्रवचन सुनकर सारे संशय दूर हो गए। पुनः आध्यात्मिक battery recharge हो गई। राम-नाम पर विश्वास और दृढ़ हो गया और चल दिए हम अपने जीवन के कुरुक्षेत्र में संग्राम के लिए।
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नामोपासना सत्संग शिविर में सम्मिलित हम साधकगण आदरणीय ज्योत्सना दीदी की आध्यात्मिक उत्कृष्टता से अभिभूत हुए। ध्यान तथा जाप की बैठकों में उनके मार्गदर्शन, भजन-संकीर्तन में मानो राम-रंग तथा राम-रस की वर्षा तथा पूर्ण अनुशासन में हमें असीम आनन्द प्राप्त हुआ। कुशल प्रबंधन तथा उच्च कोटि के आध्यात्मिक सत्संग के लिए हृदय से बधाई।
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Highly intensified, utmost disciplined, ultimately dignified and purely ethical Spiritual Satsang.
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हमारे परम आदरणीय अंकल जी ने पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज की विशुद्ध विचारधारा एवं उनके सिद्धान्तों के अनुसार सत्संगों के लिए हम ग्वालियर के साधकों को सदैव प्रेरित किया था। सत्संग के नियमों को लेकर वे इतने सुदृढ़ थे कि पूज्य श्री स्वामी जी महाराज की विशुद्ध पद्धति में कोई मिश्रण, जमा-घटाव नहीं होने देते थे। उनसे ही सीखकर हम साधकों ने नामोपासना सत्संग शिविर में पूज्य श्री स्वामी जी महाराज की विशुद्ध साधना पद्धति को यथावत् रवा और आज आदरणीय अंकल जी का स्वप्न हमें साकार दिखा।
प्रेषक : श्रीराम शरणम्, रामसेवक संघ, ग्वालियर