व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज की महान व पवित्र जीवनी का अविरल स्त्रोत- ‘भक्ति-प्रकाश’

07th Jun 2025

40 दिवसीय विशेष स्वाध्याय यज्ञ के अन्तर्गत

पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज की महान व पवित्र जीवनी का अविरल स्त्रोत- ‘भक्ति-प्रकाश’

एक बार किसी साधक ने पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज से ‘आत्मकथा’ के रूप में अपना जीवन-चरित्र लिखने की प्रार्थना की थी, तब श्री स्वामी जी महाराज ने कहा कि मेरा जीवन चरित्र तो भक्ति-प्रकाश में अंकित है। वास्तव में इस दिव्य ग्रंथ में स्थल-स्थल पर हमें पूज्यश्री स्वामी जी महाराज के उदार और उदात्त व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं। उनकी सहज और सरल साधनाओं का विश्व कल्याणकारी सिद्धियों का भी हमें यहाँ प्रत्यक्ष दर्शन प्राप्त होता है।
भक्ति-प्रकाश मात्र पूज्यश्री स्वामी जी महाराज के अनुगत साधकों के लिए ही दिव्य संदेश, भव्य आदेश और परम हितमय उपदेश नहीं है। सर्व-साधारण को भी इनसे अलग ही लाभ प्राप्त हो सकता है, जितना कि श्री स्वामी जी के एक अनुगत साधक को। यह मानव मात्र के हृदय में भक्ति-भागीरथी की पावन धारा बहाकर उसे सरस, सरल, निर्मल और कोमल बना देने वाला एक अमूल्य साधन है। इसके स्वाध्याय से पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के गंभीर अध्ययन का तो पता चलता ही है, साथ ही उन शास्त्रों के अध्ययन से जो ज्ञान सुलभ नहीं होता, वह ज्ञान इस एक ग्रन्थ के अध्ययन से प्राप्त हो जाता है।
कथा-प्रकाश की कथाओं में देशकाल का निर्देश भी बड़ा आध्यात्मिक प्रतीत होता है। एक कथा काशी की है, जिसके लिए सन्त तुलसीदास जी भी लिखते हैं-
‘मुक्ति जन्म महि जानि, ज्ञान खान अघ हानिकर। जहँ बस सम्भु भवानि, सो कासी सेइय कस न ।।’
प्रेषक : श्रीराम शरणम्, रामसेवक संघ, ग्वालियर