व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

40 दिवसीय विशेष स्वाध्याय यज्ञ के अन्तर्गत – ‘स्वाध्याय’ (कथा प्रकाহা)

31st May 2025

40 दिवसीय विशेष स्वाध्याय यज्ञ के अन्तर्गत

स्वाध्याय- कथा प्रकाহা

जैसे मानव शरीर की पुष्टि के लिए अन्न-जल आवश्यक है, वैसे ही मस्तिष्क के विकास के लिए स्वाध्याय भी अनिवार्य है। वैदिक काल में स्वाध्याय को नित्य-कर्म में सम्मिलित किया गया था और स्वाध्याय न करने पर प्रत्यवाय (दोष) लगने की चर्चा की गई थी। उपनिषद्‌काल में भी श्रवण, मनन, निदिध्यासन के बाद ही आत्म-साक्षात्कार संभावना द्वारा स्वाध्याय की अनिवार्यता पर विशेष प्रकाश (बल) डाला गया था।
श्रीमद्भगवद्गीता में श्री कृष्ण भगवान ने कहा है-स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ् मयं तप उच्यते।
स्वाध्याय का अभ्यास भी वाड्मय तप कहा गया है। इस प्रकार से सभी शास्त्रों में स्वाध्याय की महिमा गाई गयी है।
एक बार श्री स्वामी जी महाराज से एक साधक ने पूछा कि- हम साधकों के लिए क्या संदेश है ? श्री स्वामी जी महाराज ने हँसकर उत्तर दिया- ‘जो कुछ मेरे जीवन की कमाई और संदेश हैं, वे सब मैंने अपनी पुस्तकों (ग्रन्थों) में पहले से ही भर दिया है, वह ही मेरे संदेश हैं।’
श्री स्वामी जी महाराज के अनुसार उन्होंने अपने जीवन की सारी कमाई अपने ग्रन्थों में भर दी है। अतः पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज द्वारा संस्थापित राम सेवक संघ का उद्देश्य इन ग्रन्थों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने का यत्न करना, साधकों को इन ग्रन्थों के स्वाध्याय के लिए प्रेरित करना और इन महान ग्रन्थों को अपने जीवन में बसाना है। पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के शिष्य होने के नाते हम साधकों का जीवन तभी सफल तथा सार्थक हो पायेगा जब हमारा जीवन इन ग्रन्थों के अनुसार बन जायेगा।
प्रेषक : श्रीराम शरणम्, रामसेवक संघ, ग्वालियर